सारा दिन मन रहा अनमना बस डैली घर काम निबटाए महिला काव्यमंच की गोष्ठी ऑनलाइन कविता स सारा दिन मन रहा अनमना बस डैली घर काम निबटाए महिला काव्यमंच की गोष्ठी ऑ...
जैसे दिन और रात अपनी जीवन यात्रा से यह काल भ्रमण पूरा करने की चाह है उसी तरह मनुष्य को भी अपन... जैसे दिन और रात अपनी जीवन यात्रा से यह काल भ्रमण पूरा करने की चाह है उसी ...
जो समझ गया वह जी गया वरना जीवन उलझ कर रह गया। जो समझ गया वह जी गया वरना जीवन उलझ कर रह गया।
मेरे पास प्यार करने के लिए कोई नहीं है मेरे पास सेवा करने के लिए कोई नहीं है मेरे पास प्यार करने के लिए कोई नहीं है मेरे पास सेवा करने के लिए कोई नहीं है
दोनों ही स्वरों को सुनने को, तैयार रहे गर हम संगीत जीवन का हमारा मधुर हो सकता है। दोनों ही स्वरों को सुनने को, तैयार रहे गर हम संगीत जीवन का हमारा मधुर हो सकता...
मैं लिखते- लिखते थक जाता हूं फिर भी कविता लिखता हूं। मैं लिखते- लिखते थक जाता हूं फिर भी कविता लिखता हूं।